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रायबरेली के राहुल, कांग्रेस को वायनाड से ज्यादा क्यों जरूरी है रायबरेली की सीट ?


लोकसभा चुनाव 2024 पूर्ण हुए, वोटिंग भी पूर्ण हुई, काउंटिंग भी पूर्ण हुई परिणाम भी सामने आ गए, भाजपा वाले एनडीए गठबंधन ने एक बार फिर से सरकार बना ली वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया का भी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन रहा, कांग्रेस की सीट जहां 2019 में 52 थीं वह भी बढ़कर 99 हो गईं,राहुल गांधी भी वायनाड़ के साथ साथ रायबरेली से चुनाव जीत गए, ऐसे में सवाल उठा की राहुल कहां से सांसद रहना पसंद करेंगे ? तो इसके जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा की “राहुल 2 लोकसभा सीटों से जीते हैं, लोकिन कानून के मुताबिक, उन्हें एक सीट खाली करनी होगी। राहुल रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे और वायनाड लोकसभा सीट खाली करेंगे। हमने फैसला किया है कि प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। अब मल्लिकार्जून खड़गे ने इस बयान से कई सवालों का जवाब तो दे दिया लेकिन वहीं एक सवाल जनता के मन में छोड़ दिया और वो यह की कांग्रेस को वायनाड से ज्यादा रायबरेली क्यों जरूरी है? तो इसका जवाब स्पष्ट है।

कांग्रेस का गढ़ रही है रायबरेली :
अगर कांग्रेस का इतिहास देखें तो जितने भी कांग्रेस के मुखिया रहें हैं चाहे फिर वह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हों या राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी या फिर दादी इंदिरा इन सभी मुखियाओ नें उत्तर प्रदेश की सीटों से ही चुनावी रण को लड़ा है और जीता भी है, अमेठी से राजीव गांधी और इलाहाबाद से नेहरू चुनाव लड़ते रहें है रायबरेली सीट से सोनिया गांधी, इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी सांसद रहें है।

अमेठी की जीत के बाद बढ़ी जीत है रायबरेली:
2019 में अमेठी के मैदान से कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ा था और अमेठी से राहुल गांधी ही मैदान में थे तो इस हार ने कांग्रेस खासकर राहुल के चहरे और पॉलिटिक्स पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया था लेकिन इस बार कांग्रेस को अमेठी में भी विजय मिली है , किशोरी लाल शर्मा ने भाजपा की वरिष्ठ महिला नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी को 1,67,196 वोटों से हराया है, वहीं रायबरेली में भी राहुल का जलवा देखने को मिला जिसके चलते राहुल गांधी 6,87,649 वोटों से जीते और वोट प्रतिशत 66.17% रहा जो काफी अच्छा है, अब इस जीत के चलते कहीं ना कहीं कांग्रेस पूरे उत्तर प्रदेश में अपना वर्चस्व दु्बारा से हासिल करना चाहेगी जो 2027 में आने वाले युपी विधानसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और कांग्रेस को पॉलिटिकल बेनिफिट देगा।

सोनिया गांधी का वादा:
सोनिया गांधी ने सीट छोड़ते समय रायबरेली की जनता से कहा था- “मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं”, इस इमोशनल अपील से कांग्रेस ना केवल रायबरेली की जनता बल्की पूरी उत्तर प्रदेश की जनता के मन में छाप छोड़ना चाहती है और कांग्रेस की यह रणनीति पिछले कई साल से कांग्रेस के लिए कारगर साबित हुई है जैसे की राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोडो न्याय यात्रा भी निकाली जिसके चलते पूरी कांग्रेस की क्रेडिबिलिटी भी काफी बढ़ी है, जिसका फायदा ना केवल राहुल गाधी बल्की पूरी कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन को हुआ जिसके चलते ना केवल इंडिया गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी का किला टोड़ा बल्की 80 में से 40 सीटों से ज्यादा हासिल भी की

कांग्रेस के बड़े नेताओ का सुझाव:
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव संचालन समिति के एक सदस्य ने बताया था कि CEC की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राहुल रायबरेली सीट पर बने रहें, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भी सलाह थी कि राहुल रायबरेली सीट को अपने पास रखें, अब जब कांग्रेस के बड़े नेता अपनी बात रखें और अगर इस बात को नजरअंदाज किया जाए तो पार्टी में गुटबाजी की समस्या बढ़ जाती, वैसे भी कांग्रेस की गुटबाजी को कितना भी छुपाएं वो नहीं छुपती है, और इस वक्त जब दिल्ली में 2025 में चुनाव है, वहीं दुसरी तरफ सबसे ज्यादा आबादी वाले और लोकसभा वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव है अगर ऐसे में गुटबाजी हुई तो इन दोनो राज्यों में कांग्रेस को बड़ा नुकसान देखने को मिल सकता है।

14 दिन के भीतर देना होता है किसी एक सीट से इस्तीफा:
संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति एक सदन में एक से ज्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है,आर्टिकल 101 (1) में जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 68 (1) के तहत अगर कोई नेता 2 सीटों से चुनाव जीतता है, तो उसे रिजल्ट घोषित होने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़नी होती है। अगर एक सीट नहीं छोड़ता है, तो उसकी दोनों सीटें रिक्त हो जाती हैं।

Sajal Raghuwanshi reporting for truetoliferegional
True To Life, Delhi

Truetoliferegional इस लेख की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता है

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