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Mumbai Police constable को गुंडे ने पीटा, No FIR ?

महाराष्ट्र के मुंबई में अक्सर दबंगई और वसूली जैसे मामले सामने आते हैं, जिसपर पुलिस संज्ञान लेने की बात करती है, ताज़ा मामला मुंबई का है जहाँ पुलिस के सिपाही ने इलाके के बदमाश पर वसूली और जान से मारने की धमकी के आरोप लगाए हैं, वहीँ मुंबई पुलिस के कुछ सिपाहियों पर मामले को दबाने और FIR न दर्ज करने के आरोप भी लगे हैं दरअसल मुंबई पुलिस के कांस्टेबल “प्रणय” का कहना है की इलाके के बदमाश ने पहले उनसे वसूली की कोशिश की और पैसा न देने पर जान से मारने की धमकी दी, और वसूली न मिलने पर बदमाश ने 26 सितम्बर की रात 10 बजे सिपाही पर हमला कर दिया, इस हमले में कांस्टेबल “प्रणय” का सर फटा और गंभीर चोटें आईं, इस पूरे मामले की शिकायत अब तक न तो पुलिस ने दर्ज की है और न ही बदमाश को हिरासत में लिया गया है।

आरोपी का नाम सुशिल बताया जा रहा है जिसपर पहले से कई धाराओं के तहत केस दर्ज होने की आशंका है, दरअसल आरोपी सुशिल का इलाके में दबदबा और पुलिस के साथ साँठ गाँठ की बात कही जा रही है, जिस कारण अब तक आरोपी खुलेआम इलाके में घूम रहा है, दादर हेडक्वाटर में बतौर कांस्टेबल तैनात “प्रणय” के आरोप हैं की आरोपी सुशिल ने लगातार पैसों की माँग की और पैसे ना मिलने पर कांस्टेबल “प्रणय” के घर के पास आकर उनसे मारपीट की, इस पूरे मामले की न तो कोई FIR दर्ज की गई है और ना ही आरोपी के खिलाफ कोई कारवाई हुई है।

वहीँ कांस्टेबल “प्रणय” का कहना है की कार्रवाई के नाम पर भांडुप थाने के उच्च अधिकारिओं ने ज़बरन NC( NON COGNIZABLE OFFENCE ) ले, इस पूरे मामले को असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में बताया जबकि मारपीट के दौरान खून आना व गंभीर चोट लगने पर अपराध संज्ञेय की श्रेणी में आता है जिसपर तत्काल करवाई की जानी चाहिए, वहीँ इस पूरे मामले को असंज्ञेय अपराध यानि मामूली झगडे का रूप दे प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई और न ही छान-बीन की गई, भांडुप थाने के PSI अनिल रयवत पर इस पूरे मामले की फेर बदल के आरोप हैं।

इस पूरे मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए हैं, आरोपी अब तक बेख़ौफ़ घूम रहा है और उसपर उक्त करवाई नहीं की गई,बचाव में लगी पुलिस जब खुद ही लाचार हो तो जनता के बचाव का ज़िम्मा कौन उठाएगा? यदि मुंबई पुलिस अपने ही सिपाही को न्याय दिलाने में नाकाबिल है तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा ? इस पूरे मामले ने ना सिर्फ वर्दी को शर्मसार किया बल्कि इंसानियत पर भी कई सवाल उठाए हैं और एक बात तो इसके बाद साफ़ है की मुंबई की जनता खतरे में है !

**ट्रू टू लाइफ़ और इसके निर्देशक किसी भी लेख के पक्ष या विपक्ष में कोई राय नहीं रखते हैं**

वंशिखा नागल के द्वारा

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