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जीवन मरण का आईना “धर्मकूप”

कहा जाता है, जीवन- मरण सब ऊपर वाले के हाथ में हैं, भगवान ने श्रृष्टि में चार चीजों को अपने पास रखा और बाकी जो बचा, वो इंसानों को दे दिया, भगवान ने जो चार चीजें अपने पास रखीं, वो है – जीवन, मरण, यश, अपयश, इन चार बातों का निर्धारण सिर्फ भगवान कर सकते हैं और कोई नहीं। हर कोई ये चाहता है की उसे अपना भविष्य पता चल जाये, अपना भविष्य जानने के लिए लोग हर तरीके का हथकंडा अपनाते हैं, फिर चाहे वो तोता वाले ज्योतिषी हो या फिर टैरो कार्ड रीडर, सभी को ये जानने की उत्सुकता है की आखिर उनके आने वाले कल में क्या होने वाला है और इसी उत्सुकता के बीच, हमें ये पता चल जाए की इस दुनिया में एक ऐसा कुआं है, जो आपके मौत का समय बता सकता है, वो भी फ्री में तो हमारी उत्सुकता में और चार चांद लग जाते हैं, मुझे भी जब एक कुएं की ऐसी कहानी पता चली तो मेरी भी उत्सुकता बढ़ गई की भाई मैं भी जानूं की कब मैं इस कलयुगी दुनिया से देवलोक के लिए प्रस्थान करूंगा |

मैं अपनी उत्सुकता लिए निकल पड़ता हूं, अपनी true to Life टीम के साथ, बनारस के मीरघाट स्थित धर्मकूप के लिए, जिसे शहर में मौत का आईना भी कहा जाता है, अपने आदत से मजबूर मुझसे रहा नही जाता है और मैं रास्ते में ही धर्मकूप के बारे में जानकारी इक्ट्ठा करने लगता हूं ।
कहा जाता है की धर्मकूप का सीधा संबध यमराज से है और अगर इस कुएं के पानी में किसी का चेहरा नही दिखता है तो उसकी मौत 6 महिने में तय है, कई जगह पर ये भी माना जाता है की धर्म कूप का निर्माण भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से किया था, तो कई किस्सों में ये भी कहा जाता है की देवताओं के राजा इंद्र ने ब्रह्मण हत्या के दोष से मुक्ती पाने के लिए इस कूप का निर्माण करवाया था ।
जानकारी इकट्ठा करते – करते मेरे अंदर की उत्सुकता अपने चरम पर पहुंच गई थी की आखिर इस कुएं से जुड़ी हज़ार कहानियों में कौन सी कहानी सच है और कौन सी कहानी मिथ्य, खैर मैं अपनी उत्सुकता का भरा झोला लेके पहुंच चुका था,बनारस के शीतला घाट जहां से तीन घाट दूर थी मेरी मंजिल, जिसकी सच्चाई जानने के लिए मैं काफी उत्सुक था।
दो घाट और लगभग डेढ़ सौ सीढ़िया पार कर मैं पहुंच चुका था धर्मकूप के गली में, पतली सी गली में, मुझे सामने से ही दीवार पर लिखा हुआ दिख रहा था, धर्मेश्वर महादेव मंदिर और धर्मकूप में जानें का रास्ता बगल वाले दरवाज़े से है, मैं बिना देर किए तुरंत उस दरवाज़े के अंदर जाता हूं, अंदर जाते सबसे पहले मैं अपने सामने भगवान शिव के मंदिर को पाता हूं, जिसका नाम धर्मेश्वर महादेव मंदिर लिखा हुआ था, इसी मंदिर का भाग धर्मकूप है, मंदिर से थोड़ा आगे जाने पर मैं रूबरू होता हूं, उस कुएं से जिसकी कहानी जानने के लिए मैं अपनी आतुरता के उफान को रोक नहीं पा रहा था । सालों पुराने पीपल के विशाल वृक्ष के अधीन उस छोटे से कुएं को देख मैं यही सोच में डूब गया की आखिर, ये छोटा सा कुआं कैसे किसी का भविष्य दिखा सकता है ।
अपनी आतुरता के उफान को कम करने और धर्मकूप की सच्चाई जानने के लिए मैं और मेरी true to life की टीम पहुंचती है, धर्मेश्वर महादेव मंदिर और धर्मकूप के पुजारी अभिनव पुरोहित जी के पास, ये जानने की आखिर क्या वाकई में इस कुएं में चेहरा ना दिखने पर उस इंसान की मौत पक्की है ।

अभिनव पुरोहित true to Life को बताते हैं की “कुएं में शक्ल ना दिखने पर मौत का कोई प्रमाण नहीं हैं, मैं अगर इसके इतिहास की बात करूं तो यहां यमराज ने तपस्या की थी और यहां यमराज जी धर्मराज के रूप में पधारें थें और धर्मराज के घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने धर्मराज को वरदान दिया की यहां मेरा शिवलिंग जो की अब से आपके नाम से जाना जाएगा और जो भी इस कुएं में अपनी छवि देखेगा, उसे दस हज़ार गायत्री का फल प्राप्त होगा साथ ही, अगर कोई दंपती निसंतान हैं, वो 41 दिन तक यहां उपस्थित शिव लिंग की पूजा करता है, तो उन्हे पुत्र प्राप्ति होगा ।
धर्मकूप में स्नान मतलब हरिद्वार, पुष्कर का लाभ –

True to Life से बात करते हुए, अभिनव जी बताते हैं की “ हां ये सच है की इस कुएं के पानी से स्नान कर लेने पर चारों धाम पर किए स्नान का लाभ मिलता है, क्योंकी धर्मकूप में ही यमराज जी ने स्नान किया था, जिससे भगवान शिव ने यमराज से कहा की, तुम मृत्यु के सेनापति हो इसलिए इस कुएं के पानी से जो भी स्नान करेगा वो अपने पाप धर्म से मुक्ती पाकर देवलोक को प्राप्त होगा”।
कहीं ना कहीं आज तक, इसके साक्ष्य नहीं मिल पाए की क्या वाकई इस कुएं में खुद की छवि ना दिखने पर मौत होती है या नहीं ?
बनारस से अभय के द्वारा

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