वैसे तो काशी के कण-कण में बाबा विश्वनाथ का वास है, काशी में सैंकड़ों मंदिर है और हर मंदिर की अपनी कहानी है, लेकिन आज की कहानी श्रापित मंदिर पर है, ये मंदिर भले ही दुनिया के सात अजूबों में शामिल नहीं है पर सात अजूबों को टक्कर देता है, ये मंदिर बेहद अनोखा है |
काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित ये मंदिर, जो पूरे विश्व में टेढ़ा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, इस मंदिर का नाम जो भी पहली बार सुनता होगा, वो हैरत में पड़ता होगा, बनारस डायरीज का चौथा एपिसोड रिकॉर्ड करने जब मैं काशी के मणिकर्णिका घाट पहुँची तो “टेढ़ा मंदिर” को देख कर दंग रह गई , ये कैसा अजीब नाम है और सच कहूं तो मंदिर का नाम सुनकर और ढाँचा देख कर सिर्फ़ मैं ही नहीं true to life की पूरी टीम दंग रह गई।
बनारस का वो घाट, जहाँ लोग पंचतत्व में विलीन हो जाते हैं, मणिकर्णिका द्वार से जैसे ही मैं घाट के रास्ते पर पहुँची , चार कंधो पर लेटी ज़िन्दगी की सच्चाई से रूबरू हो जाती हूं, उस गली में, मैं दोनों तरफ से लकड़ियों की दुकानों से खुद को घिरी पाती हूं, खैर जिंदगी की सच्चाई से रूबरू होकर, मैं उस मंदिर तक पहुंच ही गई, जिसका अजीब नाम और जिसका अजीब इतिहास , मुझे उस तक खींच लाया था, घाट के ऊपरी सीढ़ियों से ही वो मंदिर मुझे दिखने लगा था और उस मंदिर को अपने सामने देख कर, मैं पुरी तरह से स्तब्ध खड़ी थी, वो मंदिर वाकई टेढ़ा था , मैं अपनी स्तब्धता से जैसे बाहर आती हूं, वैसे ही तुरंत मैं सीढ़ियों से नीचे जाकर उस मंदिर की बनावट को पास से देखने की कोशिश करने लगी, मंदिर के टेढ़ेपन को देख, मेरे अन्दर की आतुरता मुझ पर भारी हो गई की आखिर, ये मंदिर कितने डिग्री तक झुका हुआ है और इसी आतुरता में, मैं झट से अपना मोबाइल निकाल कर गूगल करने लगती हूं और गूगल करने के बाद, मैं और चौंक जाती हूं की क्या वाकई में ये सच है की ये मंदिर 9 डिग्री तक टेढ़ा है और इस मंदिर का दूसरा नाम रत्नेश्वर महादेव मंदिर है क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव का रत्नेश्वर अवतार है,
ये सब जानने के बाद, मैं यही सोचने लगती हूं की जहां सात अजूबों में शामिल इटली में पीसा का टावर सिर्फ 4 डिग्री टेढ़ा होके अजूबा बन गया वहीं टेढ़ा मंदिर 9 डिग्री टेढ़ा हो कर भी अजूबों में शामिल नहीं हो पाया|
इस मंदिर के टेढ़ा होने पर गौर करें तो इसके पीछे बहुत सी कहानियां है ऐसा कहा जाता है की किसी श्राप की वजह से ये मंदिर टेढ़ा हो गया, तो ये भी कहा जाता है की प्राकृतिक आपदा के वजह से ये मंदिर टेढ़ा हो गया | इन सब जानकारी के बाद मेरी आतुरता हद से ज्यादा बढ़ गई थी की आखिर, इस मंदिर की कौन सी कहानी में सच्चाई है और कौन सी कहानी मिथ्य ।
अपनी आतुरता पर विराम लगाने और इस मंदिर की सच्चाई जानने के लिए true To Life की टीम के साथ मैं पहुंच जाती हूं, टेढ़ा मंदिर के महंत दीपक जी के पास।
True To Life को दीपक जी बताते हैं की “ बहुत सी कहानियां है, इस मंदिर की कहा जाता है, की काशी नरेश के दास ने ये मंदिर अपनी मां की याद में बनवाया और मंदिर के प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में, उसने कहा की “मैंने अपनी मां का कर्ज़ उतार दिया, जिसके बाद मंदिर झुकने लगा कहा जाता है, मां के कर्ज का श्राप था इसलिए ये मंदिर टेढ़ा हो गया पर ये कहानी मिथ्य है, इस मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई की दासी रत्नाबाई ने करवाया था, इसलिए इस मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव मंदिर पड़ा, मंदिर जब बना तो ये सीधा था |
सन 1800 से पहले ये मंदिर सीधा था उसके बाद ये टेढ़ा हुआ सन 1800 के बाद यहां की भूमि कमजोर हुई और मंदिर भारी पत्थरों से निर्मित किया गया था इसलिए ये झुक गया हर साल गंगा मईया का बाढ़ घाट के ऊपर तक जाता है जिसके वजह से यह मंदिर पूरा डूब जाता है और पूरे मंदिर में मिट्टी भर जाता है |
सिर्फ तीन महीनों के लिए खुलता है मंदिर –
True to Life से बात करते हुए महंत दीपक जी बताते हैं की, “ये एक ऐसा मंदिर है, जिसका अभिषेक मां गंगा स्वयं खुद 9 महीने तक करती हैं और ये मंदिर बस तीन महीने के लिए खुलता है इसी वजह से इस मंदिर में कोई भी पूजा – अनुष्ठान नही हो पाता है, इस मंदिर को जीर्णोउद्धार की जरूरत है”
टेढ़ा मंदिर जिसे शायद कहीं सात अजूबों में शामिल होना चाहिए था पर कहीं ना कहीं ये मंदिर पन्नों में गुम होकर रह गया |
बनारस से स्मिता के द्वारा