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पिछले 20 दिनों से लद्दाख की छठी अनुसूची में जुड़ने की ‘क्लाइमेट फास्ट’ लड़ाई

आज से 17 साल पहले 2007 में राज कुमार हिरानी और आमिर खान की एक फिल्म 3 इडियट
रिलीज़ हुई थी, जो शायद आज भी युवाओं के ज़हन में कहीं ना कहीं किसी कोने में ज़रूर बसी
होगी, जिसने फिल्मी जगत के साथ – साथ शिक्षा जगत को भी बदल कर रख दिया था, इस
फिल्म ने रूढ़िवादी शिक्षा प्रणाली पर चोट किया था, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा था, माना जाता है की उस फिल्म में फूंकसुक बांगड़ू का किरदार भारत के प्रसिद्ध शिक्षा सुधारक सोनम वांगचकु से प्रेरित था।

आज मैं अपनी इस लेखनी में सोनम वांगचुक का ज़िक्र इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि पूरी दुनिया
को शिक्षा प्रणाली के नए रूप से परिचित कराने वाले सोनम वांगचुक शायद अपने ही देश के
खोखले राजनितिक प्रणाली से परिचित ना हो पाएं।

जहां एक तरफ पूरे देश के राजनितिक दल आगामी 2024 लोकसभा चुनाव की लड़ाई लड़ने की
तैयारी में व्यस्त हैं, वही दूसरी तरफ़ पिछले 20 दिन से लद्दाख की कंपकंपाती ठण्ड में, सोनम
वांगचुक पूरे लद्दाख और लद्दाख वासियों के लिए सरकार से ‘क्लाइमेट फ़ास्ट ’ के नाम से भूख
हड़ताल के तौर पर लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले 20 दिनों से सोनम वांगचकु सिर्फ नमक और पानी
पर है, 6 मार्च से सोनम वांगचुक ने अन्न का एक दाना भी नहीं खाया है ।

छठी अनुसूची में जुड़ने की लड़ाई – 2019 में दूसरी बार सरकार बनाने के बाद देश के मुखिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बडा फैसला था ,धारा 370 को हटाना, जिसका पूरे देश में खूब
जश्न मनाया गया था। 370 के हटते ही जम्मूकश्मीर सहित लद्दाख से भी विशेष संवैधानिक
ताक़त खत्म हो गई थी ।

केंद्र सरकार ने जम्मूकश्मीर को तो राज्य का दर्जा दे दिए पर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश
बना दिया । सोनम वांगचुक का दावा है की केंद्र शासित राज्य होने के कारण, यहां की सत्ता की
बागडोर दिल्ली से है,जिस वजह से बाहर से इंडस्ट्रीज आकर यहां के पर्यावरण के साथ तो
छेड़छाड़ कर ही रही है, साथ ही यहां के लोगों के विकास पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा।
सोनम वांगचुक ने कहा की “हमारी लड़ाई बस इतनी सी है की जम्मूकश्मीर के तरह लद्दाख को
भी राज्य का दर्जा दिया जाए “।

सिर्फ पर्यावरण आंदोलन नहीं , न्याय और हक की है लड़ाई – 24 मार्च को हुए एक वेबिनार में
सोनम वांगचुक ने कहा, “ लद्दाख का जम्मूकश्मीर से अलगाव के बाद, यहां के लोगों को अपने
विशेष जलवायु और पर्यावरण के संरक्षण की उम्मीद थी, सरकार ने कई बैठकों में इस पर चर्चा
कर के वादें भी किये थें पर अब सरकार को उनके वादें याद दिलाना , मानों जैसे अपराध हो गया
हो, विरोध करने पर लडकों को उठा कर जेल में बन्द कर दिया जा रहा है, अब ये आंदोलन सिर्फ
पर्यावरण आंदोलन नहीं रह गया है, बल्की सच्चाई और हक की लड़ाई हो गया है” ।

मंगल ग्रह जैसा लद्दाख – सोनम वांगचकु का मानना है की लद्दाख को बाहरी लोग चला रहे हैं,
जिन्हे ना तो यहां के इकोलॉजी से मतलब है ना ही यहां के स्थानीय लोगों से, सोनम वांगचुक
ने बताया की “अभी लद्दाख बिलकुल मंगल ग्रह जैसा हो गया, दिल्ली में बैठ के कोई लद्दाख
की नीतियां बनाने की कोशिश कर रहा है, जो यहां के इकोलॉजी को बिना समझे नीति बनाएंगे
और हमारे घाटियों , पहाडों को भारी नकुसान पहुंचाएंगे”।

देश के लिए महत्वपूर्ण है लद्दाख का बचना – सोनम वांगचुक ने कहा “ देश के लिए
लद्दाख का बचना बहुत महत्वपूर्ण है, हम बस इकोलॉजिकल आपदा को रोकना चाहते हैं
हम नहीं चाहते की लद्दाख की भी हालत उत्तराखंड जैसी हो जाए, मेरा अनशन, मेरी लड़ाई
सिर्फ ये है की, लद्दाख को राज्य का दर्जा देकर इसे छठे अनुसूची में जोड़ा जाए, जिससे
यहां के स्थानीय समुदाय को प्रशासन चलाने की अनुमति मिले और अगर ऐसा नहीं हुआ
तो मेरी लड़ाई जारी रहेगी, इसके बाद गुट अनशन होगा, जिसमे 10 दिन तक महिलाएं
अनशन करेंगी, फिर बौद्ध भिक्षु , फिर युवा, लद्दाख को बचाना महत्वपूर्ण है क्योंकि लद्दाख
को बचाना मतलब पूरे देश को बचाना”।

बनारस से अभय के द्वारा

Truetoliferegional इस लेख के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है

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