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दिल्ली की सुपर वुमन “वंदना नारंग”, कैसे मिला इन्हे ये ख़िताब ? पढ़ कर जानिए !

हीरो कभी भी किसी भी रूप में सहायक बनकर आ सकता है, चाहे वो एक पुरुष हो या एक महिला। आइये जानते हैं एक ऐसी हीरो के बारे में जिसने अपने साथ साथ हज़ारों ज़िन्दगियों को सवार और देश के लिए मिसाल बनीं। वंदना नारंग को सुपर वुमन कहना गलत नहीं होगा वो एक गृहिणी, कलाकार, कॉलेज टाइम की डांसर, दो बच्चों की माँ हैं।और साथ ही वह दिल्ली के एम ब्लॉक मार्केट जीके-1 की पहली उपाध्यक्ष भी रही हैं। वंदना ने 2005 में दिल्ली बम धमाकों के समय लोगों को मौके पर बचा सुरक्षित खतरे के स्थान से निकाला था जिसके लिए उन्हें दिल्ली के कमिश्नर द्वारा सम्मानित किया गया।

वंदना नारंग एक ऐसी महिला हैं जो अपने कामों से अपने समाज के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं। उनकी कहानी एक प्रेरणास्त्रोत है, जो समाज के हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है।

वंदना ने संघर्ष भरी जिंदगी के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का नाम बना लिया है। वे एक कार्यकर्ता, कलाकार, माँ और भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं।

ट्रू टू लाइफ से बात करते हुए वंदना नारंग ने बताया कि उनके जीवन में कई मोड़ आए , लेकिन वे हमेशा सकारात्मक रूप से उन्हें पार करती रही हैं। वंदना ने बताया की 2005 में दिल्ली बम धमाकों के दौरान उन्होंने लोगों को मौके पर बचा सुरक्षित खतरे के स्थान से निकाला था जिसके लिए उन्हें दिल्ली के कमिश्नर द्वारा सम्मानित किया गया, जिस वजह से उन्हें कमिश्नर द्वारा सम्मानित किया गया।

वंदना एक बहुत ही सक्रिय और सजीव व्यक्तित्व हैं। वे भारतीय समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाती हैं। उन्होंने सॉफ्ट स्किल्स की प्रशिक्षण देने का काम किया है और अब हज़ारों छात्रों को गाइड कर रही हैं।

वंदना की दृढ़ता और संघर्ष की कहानी हर किसी के लिए एक सीख है। उनकी अद्भुत कहानी दिखाती है कि सच्ची मेहनत और संघर्ष से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

वंदना नारंग ने अपने जीवन में कई क्षेत्रों में अपनी योगदान दिया है। उनकी सामाजिक सेवाओं को समाज ने सराहना किया है और उन्हें इसके लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।

वंदना नारंग की कहानी हमें यह बताती है कि कोई भी किसी भी अवस्था में सफल हो सकता है। जरूरत है सिर्फ इरादे और मेहनत की। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में आने वाली मुश्किलों से डरने की जगह, उनसे सामना कैसे किया जाए।

वंदना नारंग की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही मार्ग पर चलने के लिए हमें हमेशा सक्रिय और उत्साही रहना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी समस्या से निपटने का सही तरीका उसे सामने करके ही है।

दिल्ली से वंशिखा नागल के द्वारा

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