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देव दीपावली

आस्था से जुड़ा प्रतीक हैं पर्व हैं देवो का जो समीप हैं। देवो के देव महादेव के प्रिय नगरी “बनारस” देव दीपावली पर्व की भव्यता के लिए पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। हर बार की तरह इस बार भी देव दीपावली की भव्यता देखने लायक होगी।। बनारस के अर्धचंद्राकार 84 घाट 11 लाख दीपक से जगमग होंगे। इसके साथ बनारस में कुल 21 लाख दीप प्रज्वलित होंगे। 27 नवंबर को देव दीपावली की इस मनमोहक छटा को देखने के लिए मुख्यमंत्री योगी जी अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, हरदीप पूरी पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के साथ 70 देशों के राजदूत और कई विदेशी मेहमान शामिल होंगे। ये मेहमान नामों घाट से देव दीपावली का आनंद लेगे। अगर आपने बनारस की यात्रा की होगी तो आपने इतना तो समझ ही लिया होगा की बनारस “ सात वर, चौदह त्योहार” का शहर हैं। जिस प्रकार दिवाली बुराई का अंत कर श्री राम अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं। उसी प्रकार एक खास की दीवाली बनारस में देवताओं द्वारा मनाई जाती हैं।

देव दीपावली का इतिहास

देव दीपावली का पर्व दीवाली के 15 दिनों बाद मनाया जाता हैं। इस खास पर्व को “त्रिपुरारी” पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने तीन राक्षसों विधुनमाली, तारकक्ष और वीर्यवान पर विजय प्राप्त की थी, जिन्हे एक साथ त्रिपुरारी कहा जाता हैं। इन्हे ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था की इनका वध एक ही तीर से एक ही बार मे किया जा सकता हैं। इनका वध महादेव ने किया जिसके कारण महादेव को “त्रिपुरारी” भी कहा जाता हैं। जिसके बाद देवताओं में खुशी का माहौल था। जिसके चलते भगवान शिव के साथ सभी देवी देवता धरती पर आए और दीप जलाकर खुशियां मनाई। इस कहानी के अलावा कुछ लोग इस दिन को युद्ध के देवता और भगवान शिव के पुत्र कार्तिक की जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। कहा जाता है इस दिन भगवान विष्णु ने अपने पहला अवतार लिया था “मत्स्य अवतार”। शास्त्रों में देव दीपावली के दिन गंगा स्नान को बहुत ही शुभ बताया गया हैं। ऐसा कहा जाता हैं की इस दिन गंगा में स्नान करने से पूरे वर्ष शुभ फल मिलता हैं। स्नान के पश्चात दीपदान किया जाता हैं और कुछ घाटों पर आकाशदीप की जाती हैं जो पूर्वजों के लिए दान किया जाता हैं।

बनारस एक ऐसा शहर हैं जहां संस्कृति और संस्कार दोनों की झलक मिलती हैं। वाराणसी में देव दीपावली के दिन आप 84 घाट पर इसकी दिव्य रूप देख सकते हैं। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। सबसे पहले देव दीपावली सिर्फ एक ही घाट पर मनाई जाती थी। समय के साथ धीरे धीरे देव दीपावली की लोकप्रियता बढ़ती गई। और इसे आने वाले हर साल में और भी भव्य तरीके के साथ मनाई जाती हैं। चलिए हम आपको बताते है की ये पहले किस घाट पर मनाई जाती हैं। हम उस पवित्र घाट के बारे मे बात कर रहे हैं जहां एक से अधिक नदियों का संगम होता हैं।

बनारस के पंडितों की माने तो बनारस में देव दीपावली का पुनः शुरुवात का श्रेय अहिल्याबाई होल्कर को जाता हैं। कहा जाता है की 17वी शताब्दी में बनारस में भगवान विश्वनाथ शिवलिंग की स्थापना की, इसके बाद अहिल्याबाई होल्कर ने पंचगंगा घाट पर स्नान के बाद वहाँ 1000 स्तम्भ दीपक बनवाया था। यह दीपक स्तम्भ आज भी पंचगंगा घाट पर मौजूद हैं। कहा जाता हैं पंचगंगा घाट पर 5 नदियों का संगम होता हैं जिसमे गंगा यमुना सरस्वती किरण और धूतपापा शामिल हैं। ऐसा माना जाता हैं ये नदिया बहुत गुप्त रूप से मिलती हैं इसीलिए इसे बहुत पवित्र माना जाता हैं। इस घाट का निर्माण ऋषि भृगु ने महाभारत काल में करवाया था। इस साल देव दीपावली में महादेव की नगरी मे लगभग 8 से 9 लाख लोगों के पहुचने की उम्मीद हैं। बनारस की प्रसिद्ध गंगा आरती इस शुभ के अवसर पर होने वाला एक प्रमुख अनुष्ठान हैं। इस दिन होने वाले विशेष आरती में 21 ब्राह्मण पंडितों और 24 युवा महिलाओ द्वारा की जाती हैं।

आखिर वाराणसी में होने वाला देव दीपावली क्या है जिसका अनुभव आपको अपने जीवन में एक बार अवश्य करना चाहिए। ये बात पर्यटक आज समझ जायेगे। ट्रू टू लाइफ से बात करते हुए वहाँ के स्थानिक नाविक दीपक ने बताया की वह बचपन से ही देव दीपावली में आए हुए पर्यटकों को देव दीपावली दिखाते या रहे हैं उन्होंने अपने अनुभव भी हमारे साथ सांझा कीये और हमे बताया की इस बार की देव दीपावली और भी खास होने वाली हैं। पर्यटक बनारस में होने वाले लेजर शो और ग्रीन आतिशबाजी का भी आनंद ले सकेगे। वाराणसी के चेतसिंह घाट के अलावा इस बार विश्वनाथ धाम की तरफ से गंगा द्वार पर भी लेजर शो का आयोजन किया जाएगा। इस लेजर शो के माध्यम से काशी, महादेव और बाबा विश्वनाथ की महिमा सुनाई जाएगी। इसके अलावा ग्रीन आतिशबाजी भी होगी जो की गंगा द्वार के ठीक सामने रेत पर की जाएगी जिसकी अवधि 13 मिनट की रहेगी। इस खास समारोह मे शामिल होने वाले मेहमानों के लिए बनारसी व्यजन की व्यवस्था नामों घाट पर की गई हैं। मेहमानों को क्रूज से नामों घाट से रविदास घाट तक बनारस के सुंदर स्वरूप के दर्शन कराए जायेगे।

द्वारा-अंकिता दीक्षित

वाराणसी से “ट्रू टू लाइफ” के लिए रिपोर्टिंग कर रही हैं।

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