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नवरात्रि: क्या है माता रानी के सवारी का महत्व

क्या है माता रानी के सवारी का महत्व?
इस बार माता घोड़े पर कैसे हुई सवार?

हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व फाल्गुन नवरात्रि होते हैं। गुप्त नवरात्रि को साधु-संत मनाते हैं, जबकि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सभी लोग धूमधाम से मनाते हैं। फाल्गुन का महीना खत्म होते ही चैत्र माह शुरू हो जाता है जिसे हिंदी कैलेंडर का पहला महीना कहा जाता है और इस दौरान नवरात्रि के दिन हिंदू नया साल भी मनाया जाता है.चैत्र नवरात्रि इस साल 9 अप्रैल 2024 से शुरू हुई…. इन दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि में माता रानी की सवारी का भी बहुत महत्व है, जिससे आने वाले समय का अंदाजा लगाया जाता है।

मां दुर्गा का वाहन नवरात्रि के दिनों में उस दिन के आधार पर निर्धारित होता है जिस दिन नवरात्रि शुरू होता है।वैसे मां दुर्गा की सवारी शेर है लेकिन नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा धरती पर अलग-अलग वाहनों से आती हैं और हर बार माता का वाहन अलग होता है…इस बार माता दुर्गा घोड़े पर आ रही हैं, जो कि शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए इस नवरात्र में माता की पूजा और क्षमा प्रार्थना करना बहुत जरूरी है।

दरसल घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है, इसलिए धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं, तो सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बड़े बदलाव होते हैं। इससे आने वाले समय में राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है। उसी तरह, जब नवरात्रि का अंत होता है, तो उस दिन के आधार पर उनकी प्रस्थान की सवारी तय होती है। मां दुर्गा का वाहन इस बात का संकेत देता है कि आने वाला समय कैसा होगा.

अलग-अलग वार के अनुसार नवरात्रि में मां जगदंबे के वाहन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य व हाथी होते हैं। इन तमाम सवारी में से हाथी की सवारी काफी शुभ मानी जाती है।

लेखिका : अपर्णा झा
Truetoliferegional इस लेख की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता है

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