Telangana Assembly Election 2023: तेलंगाना की 119 सीटों पर मतदान जारी है। सभी की नजरें तेलगांना पर टिकी हुई हैं। तेलंगाना सीएम KCR से लेकर तमाम विपक्ष दलों ने जनता से ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की है। इस बार सीधा मुकाबला सत्तारूण दल BRS,कांग्रेस और बीजेपी में है। तीनों दलों ने जनता के बीच जमकर चुनाव प्रचार किया और घोषणापत्र में बड़े-बड़े वादे किए। खुद पीएम मोदी ने तेलंगाना की कमान अपने हाथों में ली और मतदान से पहले तक बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प है क्योंकि दो पार्टियों के बीच मुकाबला ना होकर ये त्रिकोणीय चुनाव हो गया है। 119 सीटों में से जिस पार्टी को 60 सीटें मिली वह सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगा लेकिन कई ओपीनियन पोल्स में बात सामने आ चुकी हैं कांग्रेस और BRS के बीच कांटे की टक्कर है।
2014और 2018 में KCR की बंपर जीत
2001 में केसीआर ने तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करने के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन कर आंदोलन किया। 2009 में इस आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया। 2013 में केंद्र सरकार ने तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। अप्रैल 2014 में 119 सीटों के साथ तेलंगाना का निर्माण हुआ। केसीआर प्रमुख नेता बनकर उभरे और तेलंगाना के पहले सीएम बनें। 2019 में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने थे लेकिन 8 महीने पहले केसीआर ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की और 2018 में चुनाव हुए। उन्होंने कई ऐसी योजनाएं लागू करने का वादा किया जो सीधे गरीब तबके लिए थीं। केसीआर के ये वादे काम कर गए और एक बार फिर बहुमत के जादुई के आंकड़े से ज्यादा टीआरएस ने 88 सीटें जीतकर सरकार बनाई। सत्ता में आने के बाद TRS में कांग्रेस के 12 नेता शामिल हो गए और टीआरएस की सीटों की संख्या 100 हो गई। इन पांच सालों में AIAIM भी TRS के साथ खड़ी दिखीं। ऐसे में 100 सीटों के प्रदर्शन को दोहराना और जीत की हैट्रिक लगाना टीआरएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
2023 में BRS को अपने गढ़ में चुनौती
2022 में केसीआर ने पार्टी का नाम बदने का ऐलान किया। के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (BRS) कर दिया। 2023 में बीआरएस की राह आसान नहीं होने वाली है। केसीआर हमेशा परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आरोप लगा,जो इस बार मुश्किलें बढ़ा सकता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को खूब भुनाय। पूर्व सर्वेक्षणों में ये बात सामने आ चुकी है,कांग्रेस और बीआरएस के बीच कड़ी टक्कर है और इस बार चुनाव में कांग्रेस बाजी मारती हुई दिख रही है। प्रमुख सर्वों के अनुसार तेलंगाना में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आ सकती है। जबकि सत्तारूण पार्टी BRS को विपक्ष में बैठना पड़ सकता है।
9 सीटों पर चुनाव लड़ रही AIMIM
तेलंगाना में मुस्लिम आबादी 46 लाख के करीब है। मुस्लिम हकों के लिए हमेशा आवाज उठाने वाली असुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव लड़ रही है। 100 सीटों पर वह BRS को समर्थन दे रही है। ओवैसी मुस्लिम मतदाताओं के जरिए कांग्रेस का खेल बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में है। अगर मुस्लिम वोटर्स ओवैसी संग जाते हैं तो BRS को फायदा और कांग्रेस को तगड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए विधानसभा चुनाव मुस्लिम मतदाताओं की नब्ज पकड़ने के लिए भी अहम है क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव है और यही मतदाता विपक्षी गठबंधन का भाग्य तय करेंगे।
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव तय करेंगे ‘2024’ की यात्रा
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम है। क्योंकि मध्य प्रदेश,राजस्थान का चुनाव बीजेपी ने पीएम मोदी के फेस पर लड़ा है। अगर इन दोनों राज्यों में बीजेपी की हार होती है तो ये मोदी मैजिक और बीजेपी के बड़ा झटका होगा और सीधे पर संदेश होगा कि मोदी जी के चेहरे के साथ पार्टी को राज्य के प्रभावी नेता को सीएम फेस बनाकर चुनाव लड़ना होगा। कांग्रेस के लिए भी ये चुनाव काफी अहम है। जो प्रदर्शन कांग्रेस ने कर्नाटक में किया वह प्रदर्शन वह इन पांच राज्यों के चुनावों में भी दोहराना चाहती है। अगर कांग्रेस पांच राज्यों में से 3 राज्यों में सत्ता में आती है तो ये पार्टी के लिए संजीवनी से कम नहीं होगी। बहरहाल,तेलंगाना का चुनाव बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए लोकसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यहां पर मोदी के चेहरे पर बीजेपी मैदान में थी। अगर यहां बीजेपी शिकस्त खाती है, तो आंध्र प्रदेश,उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जहां क्षेत्रीय पार्टियां सत्ता में काबिज है वहां बीजेपी की राह मुश्किल हो सकती है। फिलहाल 3 दिसंबर को 5 राज्यों के परिणाम एक साथ आएंगे तो मिशन 2024 के लिए सभी दलों की रणनीति की तस्वीर साफ कर देंगे।
Source: Dainik Jagran, Navbharat Times
कानपुर से अंशिका द्वारा